दुश्मन समझदार था – कवि रंजन शर्मा की दर्दभरी शायरी
💔 दुश्मन समझदार था 💔
— कवि रंजन शर्मा ‘पक्का बिहारी’
दुश्मन समझदार था, ये हालत किया है,
तलवार से न मारकर, मोहब्बत किया है।
अकेले उसके बिन जब जीना था मुश्किल,
लत अपनी लगाकर वो नफ़रत किया है।
तैरना भी सीखा हूं, उस दौर यारों,
जब-जब डुबाने की जुर्रत किया है।
हम सोचते रहे वो, है हमदर्द मेरा,
हक़ीक़त में वो तो, क़यामत किया है।
आँधियों ने चाहा, कि रौंदूँ सफ़र को,
पर मैंने हर तूफ़ाँ में, हिम्मत किया है।
जिस आग से वो, जलाने की सोची,
उसी शोले से ही, बग़ावत किया है।
रंज़िश में "रंजन" का दिल तोड़ उसने,
खुदा की कसम, बे-मुरव्वत किया है।
हंसी देके मुझको, दिल तोड़ा है उसने,
दुश्मनो से भी बढ़कर, सियासत किया है।
तलवार से न मारकर, मोहब्बत किया है।
अकेले उसके बिन जब जीना था मुश्किल,
लत अपनी लगाकर वो नफ़रत किया है।
तैरना भी सीखा हूं, उस दौर यारों,
जब-जब डुबाने की जुर्रत किया है।
हम सोचते रहे वो, है हमदर्द मेरा,
हक़ीक़त में वो तो, क़यामत किया है।
आँधियों ने चाहा, कि रौंदूँ सफ़र को,
पर मैंने हर तूफ़ाँ में, हिम्मत किया है।
जिस आग से वो, जलाने की सोची,
उसी शोले से ही, बग़ावत किया है।
रंज़िश में "रंजन" का दिल तोड़ उसने,
खुदा की कसम, बे-मुरव्वत किया है।
हंसी देके मुझको, दिल तोड़ा है उसने,
दुश्मनो से भी बढ़कर, सियासत किया है।
📜 लेखक: कवि रंजन शर्मा
📍 मुंगेर, बिहार
🎤 Instagram | YouTube | Facebook | X – @kaviranjansharma
✨ शायरी का सार:
यह शायरी केवल टूटे दिल की नहीं, बल्कि उस इंसान की हिम्मत की कहानी है जिसने हर दर्द को अपनी ताक़त बना लिया। "दुश्मन" यहाँ वो है जिसने प्यार करके धोखा दिया, और "रंजन" वो है जिसने बग़ावत को भी इश्क़ बना डाला।
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